ABRSM द्वारा पाठ्यक्रम में भगवत गीता को शामिल करने के विरोध की निंदा करते हुए वलसाड कलेक्टर को एक याचिका सौंपी गई।

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ABRSM द्वारा पाठ्यक्रम में भगवत गीता को शामिल करने के विरोध की निंदा करते हुए कलेक्टर को एक याचिका सौंपी गई।

 वलसाड ( गुजरात) :  दिनांक: २० जुलाई २४ : आज, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शिक्षा संघ वलसाड ने वलसाड कलेक्टर को एक याचिका सौंपी है, जिसमें कक्षा 6 से 12 तक के स्कूलों में पाठ्यक्रम में भगवद गीता के ज्ञान को शामिल करने पर गुजरात सरकार के विरोध की निंदा की गई है, जिसमें एबीआरएसएम वलसाड के अध्यक्ष अजीतसिंह ठाकोर, महासचिव रामूभाई पटेल, संगठन मंत्री किरणभाई पटेल, वलसाड तालुका अध्यक्ष शैलेशभाई पटेल, महामंत्री कल्पेशभाई पटेल, कपराडा तालुका अध्यक्ष किरीटभाई सोलंकी, वापी तालुका अध्यक्ष हेतलभाई पटेल, पारडी तालुका अध्यक्ष केशवभाई रोहित की उपस्थिति में लगभग 100 शिक्षकों के साथ आवेदन पत्र सौंपा गया। कलेक्टर को।

 और कहा गया है की अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ गुजरात सरकार द्वारा श्रीमद्भगवद गीता को स्कूली शिक्षा में शामिल करने के गुजरात सरकार के निर्णय का स्वागत करता है। इस निर्णय से छात्र विश्व स्तर पर स्वीकृत एवं कर्म के सिद्धांत का वैश्विक संदेश देने वाली भगवत गीता का अध्ययन कर उच्च जीवन मूल्यों को सीख सकेंगे, साथ ही छात्रों के जीवन में नैतिक मूल्यों को भी कायम रखा जा सकेगा। गुजरात सरकार का यह फैसला सभी लोग हमेशा याद रखेंगे।

  कुछ लोग श्रीमद्भगवत गीता को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का विरोध कर रहे हैं, इस विरोध की अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंध वलसाड ने कड़ी निंदा की है।

 श्रीमद्भगवद गीता ज्ञान-भक्ति और कर्म योग के नैतिक सिद्धांतों की व्याख्या करती है। जो उन इंसानों पर भी समान रूप से लागू होता है जो शांति, सुरक्षा और देश के प्रति वफादारी का जीवन जीना चाहते हैं। यह ज्ञान किसी भी व्यक्ति के जीवन विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

 महात्मा गांधी और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसे कई महापुरुषों ने अच्छे जीवन के लिए श्रीमद्भागवत गीता से प्रेरणा ली है। आज भी अदालतों में श्रीमद्भगवद्गीता के नाम पर शपथ लेना सत्य, निष्ठा, न्याय और ईमानदारी का प्रतीक है जो दुनिया के हर इंसान पर समान रूप से लागू होता है।

 भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर ने भी अपनी पत्रिकाओं में श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों के आधार पर सत्य की स्थापना और सत्याग्रह पर जोर देकर असमानता और अस्पृश्यता की बखिया उधेड़ी है।

 कुछ व्यक्तियों द्वारा भगवद गीता का विरोध अखिल भारतीय राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन इस विरोध की निंदा करता है और महसूस करता है और सरकार से मांग करता है कि भगवद गीता का जो पाठ्यक्रम शुरू किया गया है वह अखिल भारतीय राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन का एक अनुरोध और अपील है।

 

 

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