डांग ज़िले के जंगल में शिकारी के जाल में फंसे तेंदुए को बचाने के लिए जान जोखिम में डाल कर वनकर्मी ने तेंदुए को रेस्क्यू किया।
डांग ज़िले के जंगल में शिकारी के जाल में फंसे तेंदुए को बचाने के लिए जान जोखिम में डाल कर वनकर्मी ने तेंदुए को रेस्क्यू किया।
डांग (गुजरात) : डांग सूचना ब्यूरो आहवा से प्राप्त जानकारी के अनुसार लवचाली रेंज वन विभाग के वनकर्मियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर शिकारी के जाल में फंसे एक तेंदुए को बचाने में सफलता हासिल की।
प्राप्त विवरण के अनुसार उत्तरी डांग वन विभाग के स्वामित्व वाले लवचाली रेंज के रिजर्व फॉरेस्ट कम्पार्टमेंट नंबर 118 में पिछले रविवार को एक जंगली जानवर तेंदुए को शिकारी के जाल में फंसा देखकर स्थानीय ग्रामीणों ने इसकी सूचना लवचाली रेंज के वन अधिकारियों को सूचना दी।तब ही लवचाली रेंज के संभ्रांत वन कर्मी और क्षेत्र में ड्यूटी पर तैनात रोजम दार तुरंत मौके पर पहुंचे और लवचाली के सर्कल वन अधिकारी को सूचित किया कि एक तेंदुआ शिकारी जाल में फस गया है। तब उत्तरी डांग वन प्रभाग के प्रमुख जिला वन संरक्षक डी.एन.रबारी को सूचित करने पर डी एन रबारी ने अपने दो सहायक वन संरक्षकों को मौके पर भेजा और वन्यजीव तेंदुओं के बचाव कार्यों के प्रबंधन और निगरानी के लिए आवश्यक निर्देश दिए।
घटनास्थल पर जांच करने पर जंगली जानवर तेंदुए के अगले पंजे में शिकारी का जाल फंसा हुआ था।जिससे तेंदुआ और घायल हो गया था।तब सहायक वन संरक्षक अमित आनंद ने उन लोगों के लिए फंकिलाइजर गन बचाव जाल खाट पिंजरे आदि की व्यवस्था की जिन्हें जल्द से जल्द आराम की आवश्यकता भी थी।
गौरतलब है कि विषम भौगोलिक परिस्थिति के कारण इस तेंदुए का फनकुलेशन करना बहुत मुश्किल था ऐसे में पशु चिकित्सक ने फनकिलिगर से तेंदुए को बेहोश करने का प्रयास शुरू किया।लेकिन चूंकि तेंदुआ खाई में फंसा हुआ था और वह इलाका झाड़ियों से घना था इसलिए फंकिलाइजर गन का भी इस्तेमाल नहीं किया जा सका।ऐसे समय में वन विभाग के बीटगार्ड और वनकर्मी रेस्क्यू जाल लेकर तेंदुए के सामने पहुंचे और बड़ी हिम्मत के साथ जोखिम भरा काम करने का फैसला किया।
इस रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एक राउंड फॉरेस्टर मनोज गायकवाड़ भी तेंदुए के हमले से घायल हो गये।हालांकि खड्ड में छिपे इस तेंदुए को कुछ ही मिनटों में रेस्क्यू नेट में पकड़ लिया गया।वहीं पशुचिकित्सक डॉक्टर और उनकी टीम ने तेंदुए को एक इंजेक्शन लगाया।जिससे वह बेहोश हो गया. इस पैंथर को खाट से बांध कर कंधा देकर जंगल से बाहर निकाला गया और फील्ड स्टाफ इसे पिंजरे तक ले जाकर महा महेनत से इसे पिंजरे में डाल कर घायल तेंदुए को आगे के इलाज के लिए वांसदा राष्ट्रीय उद्यान के बचाव केंद्र में ले जाया गया। जबकि इस बचाव अभियान के दौरान तेंदुए के हमले से घायल हुए राउंड फॉरेस्टर मनोज गायकवाड़ को आगे के इलाज के लिए आहवा सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था।