डांग जिले में ग्राम पंचायत के प्रधान पद के लिए। पिता ने पुत्र को तो दुसरी जगह चाचा ने भतीजे को हराया।

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डांग जिले में ग्राम पंचायत के प्रधान पद के लिए। पिता ने पुत्र को तो दुसरी जगह चाचा ने भतीजे को हराया।

डांग (गुजरात) : दिनांक : २५ जुन २०२५ : डांग जिले में स्थानीय स्वशासन ग्राम पंचायतो के चुनाव परिणाम में आज गलकुंड ग्राम पंचायत के प्रधान के पद के चुनाव में पिता ने अपने ही पुत्र को हराया। तो दूसरी तरफ सुबीर तालुका पंचायत के महिला अध्यक्ष ने सावरदा ग्राम पंचायत के सरपंच के रूप पद के लिए उम्मीदवारी की थी। और वो आज जीते भी गई। जबकि की मानमोडी ग्राम पंचायत में सरपंच पद के लिए चाचा ने अपने ही भाई के पुत्र को भारी बहुमत से हराया।

  डांग जिले में हुए स्थानीय स्वशासन ग्राम पंचायतो के चुनावों के परिणाम घोषित हो गए हैं।  जिसमें कई दिलचस्प और आश्चर्यजनक घटनाएं देखने को मिली हैं। खासकर आहवा तालुका के गलकुंड ग्राम पंचायत और सुबीर तालुका के सावरदा गांव पंचायत और वाघई तालुका के मानमोडी ग्राम पंचायत के परिणामों ने सभी का ध्यान आकर्षित किया था। डांग जिले का गलकुंड ग्राम पंचायत इस बार सभी के आकर्षण का केंद्र बना। यहां सरपंच पद के लिए एक रिश्तेदार पिता और पुत्र के बीच चुनावी जंग में सुरेशभाई वाघ (पिता) और राजेशभाई सुरेश वाघ (पुत्र), आमने-सामने चुनावी जंग में उतरे। इस अनोखे मुकाबले के कारण गलकुंड ग्राम पंचायत पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गई हैं। पिता और पुत्र दोनों एक दूसरे को हराने की पूरी कोशिश कर रहे थे। हालांकि, इस चुनाव में “पिता तो पिता होता है” वाली कहावत सच होती दिख रही है। सुरेशभाई वाघ ने अपने बेटे राजेश को 500 से अधिक मतों के बड़े अंतर से हराकर सरपंच के रूप में शानदार जीत हासिल की। यह परिणाम गलकुंड में चर्चा का मुख्य विषय बन गया है और स्थानीय राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। एक और उल्लेखनीय घटना सुबीर तालुका में हुई है। सुबीर तालुका पंचायत की वर्तमान अध्यक्ष रवीनाबेन गावित ने सावरदा गांव से सरपंच पद के लिए अपनी उम्मीदवारी दायर की थी। उस समय घोषित परिणामों के अनुसार, वह सरपंच चुनी गई है। जो उनके लिए एक बड़ी राजनीतिक उपलब्धि मानी जा सकती है। हालांकि इस जीत से जुड़ा एक कानूनी मुद्दा है। अगर रवीनाबेन गावित सरपंच चुनी जाती हैं।तो उन्हें कानूनी तौर पर अपना एक पद छोड़ना होगा। इससे पता चलता है कि सरपंच का पद तालुका प्रमुख के पद से ज्यादा प्रभावशाली हो सकता है। या स्थानीय स्तर पर सीधे जनता का समर्थन हासिल करना उनका राजनीतिक मकसद हो सकता है। उनके पद छोड़ने का फैसला डांग जिले के राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। कि वह कौन सा पद रखेंगे और कौन सा छोड़ेंगे। इन स्थानीय स्वशासन चुनावों के परिणाम संकेत देते हैं कि डांग जिले की ग्रामीण राजनीति में नए समीकरण बने हैं। इसी तरह इस चुनाव में डांग जिले के वाघई तालुका के मानमोडी ग्राम पंचायत भी पारिवारिक संबंधों की जंग के कारण विशेष ध्यान आकर्षित कर रही थी। और सभी की निगाहें इस ग्राम पंचायत पर थीं। यहां। सरपंच पद के लिए उनके चाचा नगिनभाई गावित और भतीजे महेंद्रभाई कालूभाई गावित के बीच दिलचस्प जंग लड़ी गई। दिलचस्प बात यह है कि पहले भी इन्हीं चाचा-भतीजे के बीच चुनाव हुआ था मानमोडी ग्राम पंचायत में चाचा नागिनभाई गावित ने भतीजे महेंद्रभाई गावित को हराया। जो मानमोडी ग्राम पंचायत में चाचा नगिनभाई गावित ने 300 से अधिक वोटों की बढ़त के साथ जीत दर्ज की। समर्थकों ने पटाखे फोड़कर जीत की बधाई दी थी।

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