डांग जिले के गांवों में आदिवासियों द्वारा पारंपरिक तेरा उत्सव मनाया गया।

Listen to this article

डांग जिले के गांवों में आदिवासियों द्वारा पारंपरिक तेरा उत्सव मनाया गया।

सापुतारा  (गुजरात ) : दिनांक : १८ जुन २०२५ : दक्षिण गुजरात के अंतिम छोर पर स्थित डांग जिले के आदिवासी समुदाय का तेरा उत्सव साल का पहला उत्सव माना जाता है। जबकि अखात्रिज उत्सव साल का आखिरी उत्सव माना जाता है। अब आषाढ़ के महीने में आदिवासी तेरा उत्सव मना सकते हैं। और फिर मानसून के मौसम में कृषि बीज बोये जाते हैं। या शुरू कर सकते हैं।

डांग जिले के गांवों में गांवों का आगेवान जो पाटिल, करबारी और गांव के नेता मिलकर तेरा उत्सव मनाने का दिन तय करते हैं। आदिवासी समुदाय के लोग जंगल में उगे नए तेरा यानी (अरबी) के पत्तों को लाते हैं और उसकी सब्जी बनाते हैं। और उस दिन पत्तों का महत्व भी बहुत ज्यादा होता है। सबसे पहले उन पत्तों को लाकर घर के बाहर रखा जाता है। उस दिन सबसे पहले गांव की देवी और गांव की सरहद पर स्थित बाघ और नाग देवताओं की पूजा की जाती है। उसके बाद ही पत्तों पर जल छिड़ककर उन्हें घर के अंदर लाया जाता है। और फिर सब्जी या भाजी बनाई जाती है। उस नई सब्जी को सबसे पहले गांव की देवी-ग्राम देवी को मुर्गा मारकर (प्रसादी) के रूप में गांव के देवताओं को चढ़ाया जाता है। उसके बाद ही लोग उसे खाते हैं। तेरा पर्व के इस दिन कुछ समाजों में रात में नृत्य कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है। जिसे ठाकर्या नृत्य के नाम से जाना जाता है।तेरा के दिन से ही ठाकर्या नृत्य और पवारिन नृत्य शुरू हो जाता है। खेती-बाड़ी की दृष्टि से भी तेरा पर्व का अपना अलग महत्व है। कुछ किसान उड़द या अन्य बीज धान बोए बिना तेरा पर्व नहीं मनाते। क्योंकि उनका मानना है कि अगर बीजों को खेतों में बोने ने के पहले तेरा पर्व मनाया गया तो उन बीजों में रोग लग जाएगा और पत्ते मुरझा जाएंगे। ऐसी मान्यताएं भी हैं। यह तेरा सब्जी आदिवासियों की सब्जी की एक पारम्परिक सब्जी खुराक के रूप में भी जरूरत को पूरा करती है। वे तेरा याने जंगली अरबी के पत्तों को किसी भी दाल में मिलाकर खाते हैं। डांग के आदिवासी लोग इमारत बनाने वाले सागौन के पेड़ की पत्तियां तेरा त्यौहार मनाने के बाद ही तोड़ सकते हैं। इन सागौन के पत्तों का इस्तेमाल घर के कामों में किया जाता है। बारिश से बचाव के लिए सागौन के पत्तों से बने उत्पाद बनाए जाते हैं। डांग जिले में अनादि काल से मनाया जाने वाला तेरा त्यौहार आज भी गांवों में बरकरार है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now

जवाब जरूर दे 

क्या आप मानते हैं कि कुछ संगठन अपने फायदे के लिए बंद आयोजित कर देश का नुकसान करते हैं?

View Results

Loading ... Loading ...

Related Articles

Back to top button
Close