प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी का गृह राज्य में बीजेपी का डिजिटल डांग का नारा सिर्फ कागजों पर गढ़ा जा रहा है।

Listen to this article

प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी का गृह राज्य में बीजेपी का डिजिटल डांग का नारा सिर्फ कागजों पर गढ़ा जा रहा है।

डांग जिले में भाजपा सरकार गांवों के विकास के साथ डिजिटल युग की घोषणाएं कर रही है, लेकिन विकास की असली तस्वीर कुछ अलग ही दिख रही है।

डांग (गुजरात): दिनांक: २४ सितंबर २०२४ : प्राप्त जानकारी के अनुसार डांग जिले का मुख्य प्रशासनिक मुख्यालय आहवा की तलहटी में स्थित बोरखल ग्राम पंचायत में शामिल चवडवेल,गायखास, पायरघोड़ी, टेंबरून घर्टा,बोरखल गांवों में नेटवर्क की कमी के कारण ग्राम पंचायत द्वारा राशन के लिए कूपन जारी करने की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है।जिससे ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है। 

  इस बात की व्यापक चर्चा है कि एक ओर पूर्व भाजपा सांसद डॉ.केसी पटेल अक्सर अपने भाषण में इस बात का जिक्र करते थे कि डांग जिले को डिजिटल कनेक्टिविटी से जोड़ने के लिए उनके अनुदान से BSNL टावरों का निर्माण किया जा रहा हैं।

   लेकिन भले ही धवल पटेल अपने कार्यकाल के अंत में नए संसद सदस्य के रूप में चुने गए हैं।लेकिन डांग के गांवों में कोई टेलीफोन या इंटरनेट सुविधा नहीं है। बोरखल के ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत में तलाटी कम मंत्री के लगातार अनुपस्थित रहने की भी शिकायत हो रही हैं। साथ ही लंबे समय से कंप्यूटर ऑपरेटर की अनुपस्थित रहने से स्थानीय लोगों को आय प्रमाण पत्र या ग्राम पंचायत में राशन कूपन समेत विभिन्न प्रमाणपत्रों के लिए जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। जिससे धन और समय की बर्बादी के कारण गरीब आदिवासी सरकारी योजनाओं और सहायता से वंचित रह जाते हैं।

गोरतलब हैं की डांग जिले में कुल 70 ग्राम पंचायतें हैं।जिनमें से विभाजन करके कुल 100 ग्राम पंचायतें बनाई गई हैं।जिनमें से केवल 40 ग्राम पंचायतों में ही सरपंच चुने गए हैं। जबकि शेष 60 ग्राम पंचायतें वर्तमान में प्रशासकों द्वारा संचालित की जा रही हैं।

   जिसमें तलाटी कम मंत्रियों को प्रशासक के रूप में जिम्मेदारी दी गई है।और एक तलाटी कम मंत्री के पास 5 ग्राम पंचायतों तक का प्रशासन होता है।यदि वे ग्राम पंचायत में उपस्थित नहीं होते हैं।तो याचिकाकर्ताओं का काम बाधित हो गया है। इसलिए आदिवासियों का आरोप है कि डांग प्रशासन पूरी तरह से फेल हो गया है।

     इस संबंध में,बहुजन समाज पार्टी डांग के अध्यक्ष महेशभाई अहिरे ने कहा कि भाजपा सरकार डांग जिले को डिजिटल कनेक्टिविटी से लैस करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

आज बोरखल ग्राम पंचायत में ऑनलाइन फॉर्म या आवेदन के लिए ग्रामीणों को नेटवर्क की कमी के कारण अंत तक धक्के खाने पड़ते हैं।गरीब आदिवासियों को राशन कूपन लेने के लिए पहाड़ी पर जाना पड़ता है जहां मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध होता है। जो निजी कंप्यूटर ऑपरेटर के पास जाकर अपने पैसे खर्च कर प्रिंट लेना पड़ता है।

       तो बीजेपी सरकार का डिजिटल गांव खत्म हो गया है। और सिर्फ कागजों पर ही है।जिसका एहसास आदिवासियों को हैं।

 इस संबंध में डांग जिला युवा कांग्रेस अध्यक्ष राकेशभाई पवार ने कहा कि भाजपा सरकार के शासन में भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया है

     डांग के गांवों में इंटरनेट सुविधाओं के साथ टेलीफोन सेवा स्थापित करने की कई घोषणाएं की गईं लेकिन आज भी बोरखल ग्राम पंचायत में नेटवर्क की कमी के कारण आदिवासियों को आय या कृषि से संबंधित नमूने लेने के लिए आहवा तक जाकर इंतजार करना पड़ता है। फिर राशन का अनाज खरीदने के लिए कूपन प्रिंट करना पड़ता है।

     यदि बोरखल ग्राम पंचायत में पांच गांव हैं और ग्राम पंचायत में नेटवर्क की कमी है। और समय पर रेशन की कूपन जारी नहीं होते हैं। तो लाभार्थी को राशन नहीं मिलता है।

     फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी का गृह राज्य में बीजेपी का डिजिटल डांग का नारा सिर्फ कागजों पर गढ़ा जा रहा है।

      इस संबंध में आहवा तालुका विकास अधिकारी सुहासभाई गवांडे ने कहा कि वर्तमान में बोरखल ग्राम पंचायत प्रशासक के अधीन आने वाले ग्रामीणों द्वारा कोई शिकायत नहीं की गई है।

  उन्होंने कहा कि यदि समस्या के संबंध में कोई लिखित शिकायत आती है तो संबंधित विभाग को कार्रवाई का निर्देश दिया जायेगा.

  हलाकी कहां जाता है की आहवा तालुका पंचायत में टीडीओ का पद क्लास 1 का है लेकिन वर्तमान में एक प्रमोशन अधिकारी प्रशासनिक गाड़ी चला रहा है। यह कितना उचित है यह तो डांग सिस्टम ही जानता है।

 

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now

जवाब जरूर दे 

क्या आप मानते हैं कि कुछ संगठन अपने फायदे के लिए बंद आयोजित कर देश का नुकसान करते हैं?

View Results

Loading ... Loading ...

Related Articles

Back to top button
Close