गुजरात के डांग जिला कांग्रेस कमेटी ने आदिवासी समाज के कुछ मांगे को लेकर राज्यपाल को याचिका आवेदन दिया।

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गुजरात के डांग जिला कांग्रेस कमेटी ने आदिवासी समाज के कुछ मांगे को लेकर राज्यपाल को याचिका आवेदन दिया। 

गुजरात के डांग जिला कांग्रेस कमेटी ने आदिवासी समाज के कुछ मुद्दों को लेकर राज्यपाल को संबोधित करते हुए कलेक्टर को याचिका भेजी।

डांग (गुजरात) : दिनांक: १३ सितंबर २०२४ :  प्राप्त विवरण के अनुसार 13 सितंबर विश्व आदिवासी अधिकार दिवस के अवसर पर डांग जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा आदिवासी समाज के कुछ प्रमुख मुद्दों को संबोधित करते हुए राज्यपाल को संबोधित एक याचिका कलेक्टर को दी गई ।

जिस में कहा गया है की आदिवासी समाज के अस्तित्व और पहचान,जल, जंगल,जमीन,भाषा,संस्कृति आदि के अधिकारों को बनाए रखना और विकसित करना और राष्ट्र को अपनी सरकार द्वारा इस अधिकार को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक कानून और नियम बनाने का आदेश दिया गया है। लेकिन आदिवासी समुदाय को येनकेन प्रकारेण परेशान किया जाता है।  इस संबंध में 13 सितंबर को आदिवासी अधिकार दिवस के अवसर पर डांग जिला कांग्रेस कमेटी ने आदिवासी समाज के कुछ मुद्दों को लेकर मांगों को पूरा करने के लिए कलेक्टर के माध्यम से राज्यपाल को आवेदन पत्र भेजा हैं।

      जिसमें बताया है की गैर-आदिवासियों द्वारा येन कैन जैसे आदिवासी होने का झूठा प्रमाण पत्र प्राप्त करके नौकरियाँ प्राप्त की जाती हैं।

       जिसके कारण आदिवासी युवा वास्तव में नौकरियों के हकदार हैं, वे वंचित हो रहे हैं। डांग जिले की परिस्थितियों के तहत लोगों के लिए आदिवासियों के जाति प्रमाण पत्र प्रदान करना आसान बनाना चाहीए।

       डांग जिले में कोई स्थानीय रोजगार परियोजनाएं नहीं हैं इसलिए लोगों को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों या जिलों में पलायन करना पड़ता है। जिसके कारण आदिवासी बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। तो भारत सरकार ने वन भूमि पर खेती करने वाले किसानों को खेती के लिए वन भूमि देने का कानून लागू किया है।

    इसके तहत लंबित आवेदनों पर त्वरित निर्णय लेकर उनका निराकरण किया जाए। आदिवासी मुख्य रूप से वन एवं दुर्गम क्षेत्रों में निवास करते रहे हैं।

       जहां भारी मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा है। विकास के नाम पर लगातार नई-नई परियोजनाएं लाना, जंगल और जमीन का हक देना,डांग जिले के हर कार्यालय में पूर्णकालिक,पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध कराना, एकमात्र सिविल अस्पताल है। डांग जिला, जिसका निजीकरण करने का प्रयास किया जा रहा है।

         इसे बंद किया जाना चाहिए और सिविल अस्पताल को सरकारी ही रहना चाहिए और इसमें पर्याप्त स्टाफ और सभी प्रकार की चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।

      डांग जिले में ब्लड बैंक केवल नाम का है क्योंकि अब भी रक्त वलसाड या बिलीमोरा प्राइवेट से लेना भेजा जाता है। जिसके कारण अशिक्षित और आर्थिक रूप से कमजोर आदिवासी रक्त संग्रह के लिए नहीं जा पाते हैं और इलाज से वंचित रह जाते हैं। पर्याप्त सुविधाओं के साथ ब्लड बैंक शुरू करने, आहवा, वाघई में कॉलेजों और हाई स्कूलों के लिए छात्रावासों की संख्या बढ़ाने के मुद्दों के बारे में एक प्रस्तुति दी गई ताकि दूर से आने वाले छात्रों को आवास और भोजन की सुविधा मिल सके। ऐसी अनेक मांग की गई ये सभी मांगें मानी जाएं। ऐसी याचिका की गई हैं।

 

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