राज्य का पर्यटन विभाग संभवत: 28 जुलाई से सापुतारा हिल्स पर मानसून महोत्सव के नाम पर कई कार्यक्रम आयोजित कर अपना खजाना भरेगा क्या की सुगबुगाहट हो रही है।।

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राज्य का पर्यटन विभाग संभवत: 28 जुलाई से सापुतारा हिल्स पर मानसून महोत्सव के नाम पर कई कार्यक्रम आयोजित कर अपना खजाना भरेगा क्या की सुगबुगाहट हो रही है।

डांग (गुजरात) : दिनांक: १९ जुलाई २४ : सापुतारा में मॉनसून फेस्टिवल के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।जबकि लगातार दुर्घटनाओं में वाहनों के नीचे कुचले जाने वाले पर्यटकों की सुरक्षा के लिए सापुतारा घाट मार्ग पर क्रेन की सुविधा तक उपलब्ध नहीं कराई गई है। आने वाले दिनों में सापुतारा की पहाड़ियों पर करोड़ों रुपए की लागत से मानसून महोत्सव होने जा रहा है। लेकिन पर्यटन विभाग या सिस्टम के पास पर्यटकों की कीमती जान की वास्तविक समय में सुरक्षा के लिए क्रेन की सुविधा नहीं है। गुजरात राज्य का सापुतारा हिल स्टेशन अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। सापुतारा हिल स्टेशन पर हर मौसम में बड़ी संख्या में पर्यटक प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने के लिए आते हैं। पर्यटकों के मनोरंजन के लिए राज्य सरकार का पर्यटन विभाग आयोजन करता है हर मौसम में मौसमी त्योहारों की योजना बनाना और करोड़ों रुपये खर्च करना। जो स्वागतयोग्य बात है लेकिन राज्य के पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटकों के लिए सुरक्षा उपकरण लगाने के बजाय मनोरंजन के नाम पर पर्यटकों से सिर्फ टैक्स वसूल कर सुरक्षा के नाम पर लूटने का काम किया जा रहा है. महोत्सव में आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा का ख्याल किए बगैर सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च करने और सुरक्षा उपकरण मुहैया नहीं कराने का मामला तूल पकड़ने लगा है।

      हर साल की तरह इस साल भी 28 जुलाई से सापुतारा हिल पर मॉनसून फेस्टिवल का आयोजन होने जा रहा है। हर साल मॉनसून फेस्टिवल में भारी संख्या में पर्यटक आते हैं और पर्यटकों की संख्या बढ़ने से सरकार का राजस्व भी बढ़ता है पर्यटक वाहन भी बढ़ जाते हैं। जिसके कारण सापुतारा घाटमार्ग में दुर्घटनाएं देखने को मिलती हैं। हालांकि,आपदा के समय सापुतारा घाटमार्ग पर बचाव कार्य करने के लिए न तो पर्यटन विभाग और न ही प्रशासन के पास एक बड़ी क्रेन तक की सुविधा है। सही समय पर महाराष्ट्र के नासिक,डिंडोरी और नवसारी जिलों के वांसदा और चिखली से क्रेन बुलानी पड़ती है और दूर से क्रेन आने में समय लगता है। जिससे फंसे हुए पर्यटकों की मौत हो जाती है। गुजरात सरकार मानसून उत्सव के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर सकती है।फिर इस उत्सव में जगमगाने वाले पर्यटकों की सुरक्षा की क्या सराहना की जाती है ये भी एक सवाल है। ? ऐसा लगता है कि गुजरात पर्यटन विभाग को मानव जीवन की कोई कीमत नहीं है और वह विकास के नाम पर केवल पर्यटक बनाने में रुचि रखता है। गौरतलब है कि गुजरात राज्य में मानसून शुरू हो चुका है। तब डांग जिले सहित सापूतारा की प्राकृतिक सुंदरता खूब फली-फूली है। जिसके कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं और पर्यटन विभाग की ओर से क्रेन सुविधाओं की कमी के कारण कई लोगों की जान भी जा चुकी है और प्रशासन के पास बचाव कार्य के लिए एक क्रेन तक की सुविधा नहीं है। इसके अलावा पर्यटन विभाग और प्रशासनिक तंत्र के पास एक भी बड़ी क्रेन नहीं है तो फिर सवाल उठता है कि राज्य सरकार द्वारा महोत्सवों के नाम पर दी जाने वाली करोड़ों रुपये की राशि कहां खर्च होती है।? क्या पर्यटन विभाग और प्रशासन द्वारा यह पैसा बर्बाद किया जा रहा है। ? या फिर उनकी ही जेबों से सरकारी खजाना भरा जा रहा है। ? ऐसे कई सवालों पर्यटन विभाग और स्थानीय प्रशासन पर पड़ रहा है। ऐसे में राज्य पर्यटन विभाग पे भी सवाल तो खड़ा होगा ही। जिसे स्थानीय लोगों और पर्यटांको में सुगबुगाहट हो रहा है की महोत्सव के साथ-साथ सापुतारा आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा के लिए सुविधाएं बनाना चाहीए। 

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