गुजरात के डांग जिले में प्राथमिक विद्यालय जर्जर होने के कारण ग्रामीणों ने विद्यालय में ताला लगा देने से सरकारी तंत्र में हलचल मच गई।

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गुजरात के डांग जिले में प्राथमिक विद्यालय जर्जर होने के कारण ग्रामीणों ने विद्यालय में ताला लगा देने से सरकारी तंत्र में हलचल मच गई।

डांग (गुजरात) : दिनांक: १३जुन:२३ : प्राप्त जानकारी अनुसार डांग जिले के पिंपरी गांव का सरकारी प्राइमरी स्कूल पिछले तीन साल से जर्जर हालत में था। और ईस बारे में बार बार शिकायत के बावजूद सरकारी तंत्र स्कूल का कोई निर्माण या नवीनीकरण नहीं कर रहा था। तब उस समय पिंपरी गांव के ग्रामीणों को लगता था कि स्कूल की यह हालत कभी-कभी स्कूली बच्चों के लिए खतरा बन जाएगी। इसलिए छुट्टी खत्म होने के बाद गांव वाले हला बोल चिल्लाते हुए आज दिनांक 13 जुन को अत्यंत जर्जर इस विद्यालय को ग्रामीणों द्वारा ताला लगाकर विरोध प्रगट किया था। जिसे डांग के शासकीय तंत्र में बडी दौड़ धाम मच गई थी। यहां बता दें कि पूरे देश के युवाओं को शैक्षिक स्तर पर आगे बढ़ाने और पूरे देश का विकास करने के लिए सरकार द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं।तब डांग जिले के गांवों में शिक्षा की विशेष आवश्यकता होने तथा पिछड़ा क्षेत्र होने के बावजूद भी डांग जिले के सरकारी तंत्र के जिम्मेदार अधिकारी या स्थानीय राजनीतिक निर्वाचित नेता गैर जिम्मेदार हो गए हैं और अपनी जिम्मेदारी में पूरी तरह से विफल हो गए हैं। सरकार के इस नेक मकसद पर पानी फिर रहा है।और ऐसे गैरजिम्मेदार अधिकारियों के कारण डांग की भोली-भाली जनता त्रस्त है। एक तरफ गुजरात की भाजपा सरकार शिक्षा को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करती है। वहीं दूसरी ओर डांग जिले में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के भवन जर्जर हालत में हैं या फिर अन्य स्थानों पर स्कूली बच्चों के बैठने और पढ़ने के लिए भवन ही नहीं है, उदाहरण के तौर पर डांग के कोदमाल गांव में स्कूली बच्चे मध्याह्न भोजन शेड में पीछले देढ़ साल से पढ़ाई कर रहे हैं।तो फिर सवाल उठता है कि क्या ? लोगों के बीच इस बात को लेकर भी काफी बहस सुनने को मिल रही है कि क्या गुजरात की भूपेन्द्रभाई पटेल की बीजेपी सरकार चाहती है कि गुजरात के बेहद पिछड़े जिले डांग में आदिवासियों के बच्चों को शिक्षा न मिले।

 

 

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