विकसित गुजरात के डांग के स्कूल में मिड-डे किचन शेड में पढ़ने को मजबूर आदिवासी बच्चे।

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विकसित गुजरात के डांग के स्कूल में मिड-डे किचन शेड में पढ़ने को मजबूर आदिवासी बच्चे।

डांग ( गुजरात) : विकसित गुजरात के डांग के स्कूल में मिड-डे किचन शेड में पढ़ने को मजबूर आदिवासी बच्चे। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित गुजरात मॉडल को स्थानीय मीडिया पूरे भारत में प्रचारित कर रही है, वहीं यहां की बीजेपी सरकार भी विकास की तारीफ कर रही है और दिल्ली की केजरीवाल सरकार के स्कूलों की तुलना कर रही है।पर डांग जिले के अहवा तालुका के कोदमाल गांव में जिला पंचायत के स्वामित्व वाला प्राथमिक गुजराती स्कूल जिसमें वर्तमान में कक्षा 1 से 5 तक लगभग 27 बच्चे पढ़ते हैं।हालांकि स्कूल के जर्जर कमरों को ध्वस्त हुए डेढ़ साल से अधिक समय हो गया है। यहां अभी भी बच्चे रह रहे हैं।बच्चों के बैठने और पढ़ने के लिए कमरे नहीं बने हैं। वहीं बच्चे मध्याह्न भोजन के लिए बने रसोईघर के शेड में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। इस संबंध में स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार स्थानीय नेताओं को इस संबंध में बार-बार मौखिक रूप से अवगत कराने के बावजूद यह सुगबुगाहट सुनने को मिल रही है कि स्थानीय जिले के नेता आंखें मूंदे हुए हैं।फिर देखना यह है कि गुजरात की बीजेपी सरकार विकास की कहानी तो कहती है लेकिन इस डांग के आदिवासी बच्चों को शिक्षा से वंचित कर देती है।ऐसे में जब आदिवासी बच्चे छप्पर के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं तो मंगलवार को होने वाले लोकसभा चुनाव में इस गांव के लोग मतदान में क्या सोच रहे होंगे।यह स्थानीय लोगों के अपने मन की सोच कही जा सकती है।

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